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  • बलखाती धार ~ मदमाता सागर

    तुम बलखाती धार प्रिये, 
    मै मदमाता सागर हूँ |
    तुम वंशी की तान मधुर,
    मै लहराता स्वरवर हूँ |
    तुम उन्मादी मदिरा सी,
    मै ठंडा शांत कांच सा हूँ |
     


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  • बलखाती धार ~ मदमाता सागर

    तुम बलखाती धार प्रिये, 
    मै मदमाता सागर हूँ |
    तुम वंशी की तान मधुर,
    मै लहराता स्वरवर हूँ |
    तुम उन्मादी मदिरा सी,
    मै ठंडा शांत कांच सा हूँ |
    तुम राजमहल की वीथिका भव्य,
    मै कुचला पथ मधुशाला का |
    तुम शशि की शीतल रश्मि, 
    मै प्रखर तेज सूर्य का हूँ |

    तुम वेदों के श्लोक पवित्र,
    मै भद्दे कटाक्ष सा हूँ |
    तुम नि:स्सार विस्तार सी हो,
    मै खुद में ही बंदी - बंधक सा |
    तुम हो मेरे प्रेम सी विस्तृत,
    मै सामाजिक रूढ़ी सा |
    तुम हो मन की तृप्त छवि,
    मै घाव टीसता दिल का हूँ |
    तुम बलखाती धार प्रिये, 
    मै मदमाता सागर हूँ ||

    ०९-०१-१९८६

     

    • Date

      03-10-2023

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