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  • हलचल

    इनके निर्मोही, निश्चल, मौन लाचारो में 
    वर्षानुवर्षो से सुप्त पाषाणो मे 
    किसने कोमल चरणो से आघात किया
    जो यूं अश्रुधार बह उठी विह्वल।

    इस ठहरे, मृतप्राय, शांत  वातावरण में 
    इतने युगों से ठहरी, स्थिर हवाओं में 
    किसने अपना मधुर श्वास छोड़ दिया
    कि मन्द सुवासित समीर बह उठी अविरल।।


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  • हलचल

    इनके निर्मोही, निश्चल, मौन लाचारो में 
    वर्षानुवर्षो से सुप्त पाषाणो मे 
    किसने कोमल चरणो से आघात किया
    जो यूं अश्रुधार बह उठी विह्वल।

    इस ठहरे, मृतप्राय, शांत  वातावरण में 
    इतने युगों से ठहरी, स्थिर हवाओं में 
    किसने अपना मधुर श्वास छोड़ दिया
    कि मन्द सुवासित समीर बह उठी अविरल।।

    इस घनघोर अंधकार से घटाटोप
    मानव मन से भी गहरी अंधी गुफाओं मे
    किसने ये धूप की किरण को मुक्त किया
    जो नींद के सपने सत्य बन करने लगे हलचल।।।

     

    ~ नीरज गर्ग

      ०९.०६.२०१५

    • Date

      03-10-2023

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