• gallery image
  • समुन्दर किनारे

    समुन्दर के किनारे सोन्धी सी बालू
    शाम ढले जब नारंगी लय मे लहराती है,
    और लाल - बैंगनी सी लहरें उठ- उठ कर
    मन के तट पर आकर माथा पटकती हैं ।


    Buy
  • समुन्दर किनारे

    समुन्दर के किनारे सोन्धी सी बालू
    शाम ढले जब नारंगी लय मे लहराती है,
    और लाल - बैंगनी सी लहरें उठ- उठ कर
    मन के तट पर आकर माथा पटकती हैं ।

    नमकीन हवा के झंझावात सी गरजती
    तुम आ पहुंचो झझकोरने मुझको,
    मेरे सब्र के शामियाने को, मन की जमीन से 
    उखाड़ फेंकने को अमादा - आतुर।।

    मेरे सब्र का एक- एक रेशा, हर एक धागा
    फड़फड़ाने लगे तुम्हारे प्यार के झंझावात में 
    शायद ये सब्र उड़ जाना चाहता है जिससे
    मेरा तन मन तुम्हारे प्यार से भीग जाये।।।

    तुम समुद्र की लहरों सी उन्मादी
    बेबाक, स्वतन्त्र, स्वछंद आ धमको
    मेरे हृदय के तट के बालू पर बने 
    सारे पुराने पग चिन्ह मिटा दो।।।।

    बहाकर ले जाओ पुरानी सारी सीपिया, 
    रेत के टूटे किले, जो जाने किसने बनाऐ
    और छोड़ जाओ अपने हृदय की लहरों के
    अमिट निशान मेरे मन के तट पर।।।।।

     

    ~ 19.08.2015

    • Date

      03-10-2023

Buy this photo

COPYRIGHT © 2023 NEERAJ GARG